केवल वही मनुष्य सब की, उपेक्षा उत्तम रूप से करता है , जो पूर्णतया निस्वार्थ है , जिसे ना धन का लालच , ना कीर्ति का और ना , अन्य किसी वस्तु का है । Swami Vivekanand
निस्वार्थ कार्य के माध्यम से , भगवान का प्यार आपके , ह्रदय में बढ़ता जाता है। Swami Paramhans